Chuma Bau ki Cheli | Garhwali Song 2020 | Ruhaan Bhardwaj | Karishma Shah | DRK | Sanjoli
Ruhaan Bhardwaj Ruhaan Bhardwaj
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 Published On Premiered Dec 15, 2020

काफ़ी लंबे समय के बाद मेरा सोलो गीत आप सभी के बीच और मुझे उम्मीद है
कि आप सभी को यह पसंद आएगा ❤️🙏
गाने को share करना ना भूलें और comment में अपनी प्रतिक्रिया ज़रूर दें ❤️
जय उत्तराखंड

Ruhaan Bhardwaj Present’s

Audio Credits

♪ Song - Chuma Bau ki Cheli
♪ Singer & Music - Ruhaan Bhardwaj
♪ Lyrics and Composer - O.P. Bhardwaj
♪ Mix & Mastered & Recorded at - (KR Records Studio, Dehradun)
♪ Chorus - Rahul Joshi, Ruhaan, KR

Video Credits

♪ Directed By - Karishma Shah
♪ DOP - Bittu Fotography & Shiva Verma
♪ Edi By - Team Balance
♪ Design By - Grow Up Media Works (Vikrant Mishra)
♪ Dancers - Abhishek Bhatt, Priyansh Paliwal, Prafful Naudiyal
♪ Dress- Rajeev Chauhan
♪ Sponsored By - Shanaya production
♪ Special thanks to - Neeraj Samant Arvind Bhardwaj, Pooja Bhardwaj, Jyoti Prakash pant,Vikrant Mishra , Mohit Silswal


#ChumaBauKiCheli #RuhaanBhardwaj #KarishmaShah

Lyrics
रुकी की जा रुकी जा थमी जा थमी जा जागी जा जागी जा बणि ना बथों
( रुकजा - रुकजा थम जा थम जा तूफ़ान मत बन )

लूटकियलि क़मरी अपड़ि जगु जगु अब तू ना हिलो
(लोटे जैसी अपनी इस कमर को जगह जगह मत हिला )

सुण छुमा बौ की चेली ब्यो मी दगड़ी मा क़ैली 2
(सुन छुमा बौ की चेली शादी मुझसे करेगी बिना मेरा लठियाली कुवाँरी बैठी रैली 2
( मेरे बिना लड़की कुँवारी बैठी रहेगी )
सुण छुमा ............

सदानी नि रैण इँ ज़्वनी कु खुमार 2
( हमेशा नही रहेगा ये जवानी का खुमार )
कैकु तैं दवे बणि तू क़ैकु तैं बुख़ार
(किसी के लिए तू दवाई बनी है तो किसी के लिए बुख़ार बनी है )
जब दन्नती निखल जैली तब बुड़ियाँदी दाँ क्या कैली
(जब बुढ़ापे में दांत निकल जायंगे तब क्या करेगी )

1 - सदानी नि रैण इँ ज़्वनी कु खुमार - 2
( हमेशा नही रहेगा ये जवानी का खुमार )
कैकु तैं दवे बणि तू क़ैकु तैं बुख़ार
(किसी के लिए तू दवाई बनी है तो किसी के लिए बुख़ार बनी है )
जब दन्नती निखल जैली तब बुड़ियाँदी दाँ क्या कैली
(जब बुढ़ापे में दांत निकल जायंगे तब क्या करेगी )
बिना मेरा लठियाली कुवाँरी बैठी रैली 2
( मेरे बिना लड़की कुँवारी बैठी रहेगी )
सुण छुमा ............

2 - बँण की बणाग छै तू आग की अगेलि
(जंगल में लगी हुई आग जैसी है तू और आग से जली हुई लकड़ी जैसी)
खटी च मीठी , मीठी च खटी जन रामनगर की भेली
( खट्टी है ऐसी मिट्ठी है ऐसी जैसे रामनगर का गुड़ )
जब लाठी टेकी ऐली तब बुड़ियांदी दाँ क्या क़ैली
( जब लाठी के सहारे आएगी तब बुढ़ापे में क्या करेगी)
बिना दोंला क़िला कि निखलियों सी ढोल रैली 2
( जैसे बिना रस्सी के खुला ढोल होता है )
सुण छुमा बौ .............

3 - तू सुणजा बात मेरी तू मणीजा बात मेरी
बुड़ियाँदी दों लथियाली कुई सुणनियानि च तेरी
कुई नि सुणालो तेरी
( तू सुन ले बात मेरी तू मान ले बात मेरी
बुढ़ापे में लड़की तेरी कोई नही सुनेगा
कोई नही सुनेगा तेरी )
मेरी ब्योलि बनी एली त मौज़ मा तू रैली कभी रैली सैरू बाज़ार कभी डांडा छानी रैली 2
( मेरी दुल्हन बनेगी तो मौज में तू रहेगी
कभी गाँव में रहेगी तो कभी शहर में रहेगी )
सुण छुमा बौ की चेली ब्यो मी दगड़ी मा क़ैली 2
(सुन छुमा बौ की चेली शादी मुझसे करेगी

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