नकली दांत लगवाने के 3 प्रकार व खर्च | नकली दांत लगवाने के फायदे या नुक्शान |Type Of Artificial Teeth
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 Published On May 2, 2024

नकली दांत लगवाने के 3 प्रकार व खर्च | नकली दांत लगवाने के फायदे या नुक्शान |Type Of Artificial Teeth

आजकल नए दांतों के बनाने की तकनीकों में आधुनिक सुधार आये हैं |जिसके द्वारा मरीज़ को खाना खाने में बिलकुल भी कठिनाई नहीं आती और यह दांत बिलकुल अपने दांतों जैसे ही प्रतीत होते हैं एवं आकर्षक और सुन्दर भी होते हैं|

अधिकतर मरीज़ फिक्स्ड दांत ही लगवाना चाहते हैं क्यूंकि यह ज्यादा सुविधाजनक होते हैं| निकालने वाले दांत ऐक्रेलिक के द्वारा बनाए जाते हैं और उन्हें साफ़ करने के लिए मुह से बाहर नियमित तौर पर निकालना पड़ता है| निकालने वाले दांत बनाने के लिए मरीज़ का मुह का माप लेकर लेबोरेटरी में भेज दिया जाता हैऔर उसके बाद २-३ बार मरीज़ को डेंटिस्ट के पास विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए जाना पड़ता है |और दांत पूरी तरह तैयार होने पर मरीज़ को लगा दिए जाते हैं| दांत बन जाने के बाद भी आपको २-३ बार डेंटिस्ट के पास जाकर दांत को ठीक करवाना पड़ सकता है|
क्राउन एंड ब्रिज तब लगाए जा सकते हैं जब मरीज़ के मुंह में अपने कुछ प्राकृतिक दांत बचे हों. उन दांतों का उपयोग करके ही नए दांत बना दिए जाते हैं.

इस अवस्था में में यह जरूरी होता है कि आपके बाकी के दांत स्वस्थ हों और उनमें कोई कीड़ा न लगा हो.

इस तकनीक के द्वारा आस पास के दुसरे दांतों के आकार को थोडा छोटा किया जाता है, ताकि उसके ऊपर नए दांत या कैप की जगह बनायी जा सके. क्राउन को आम भाषा में कैप भी कहा जाता है. अधिकतर आगे के दांतों में पोर्सिलेन और जाड़ों में पोर्सिलेन के साथ धातु का उपयोग किया जाता है. पोर्सिलेन के दांत ज्यादा नेचुरल और सुन्दर दखते हैं|

आजकल पोर्सिलेन भी भिन्न प्रकार के पदार्थ में उपलब्ध हैं| सबसे पहले डेंटिस्ट मरीज़ के मुह और दांत का निरीक्षण करते हैं, और उसके बाद यदि किसी दांत में सडन हो, तो उसका इलाज़ किया जाता है|

कुछ एक्स रे और मुह का माप लिया जाता है. जिन दांतों की सहायता से नए दांत बनाये जाते हैं, उन्हें थोडा छोटा आकर देकर पुनः माप लिया जाता है, और तुरंत डेंटल लेबोरेटरी में भेज दिया जाता है|

तकनीशियन आपके माप के अनुसार दांत को बनाते हैं और २ से तीन दिन बाद दांत बन कर तैयार हो जाते हैं और आप के मुह में लगा दिए जाते हैं|
डेंटल इम्प्लांट के द्वारा उन मरीजों को बहुत फायदा होता है, जिनके अपने दांत सपोर्ट के लिए उपयोगी नहीं होते. उदाहरण के लिए मरीज़ जिनके मुह में जाडें नहीं होती और सिर्फ आगे के दांत होते हैं|

इम्प्लांट को लगाने के लिए मुह सुन्न किया जाता है और एक छोटे से छेद के द्वारा जबड़े की हड्डी में डाल दिया जाता है|

इस प्रकार हड्रडी में जड़ डाल दी जाती है. उसके ऊपर का भाग और दांत तीन महीने बाद माप लेकर बनाया जाता है|

कुछ मरीजों में आगे का दांत लगाने की प्रक्रिया में ऊपर का भाग और दांत उस्सी दिन भी डाला जा सकता है|



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