जय महालक्ष्मी कथा | वैष्णों ने किया शत्रु हंता का वध
Tilak Tilak
30.9M subscribers
7,832,852 views
0

 Published On Premiered Jan 31, 2022

   • बजरंग बाण | पाठ करै बजरंग बाण की हनुम...  
बजरंग बाण | पाठ करै बजरंग बाण की हनुमत रक्षा करै प्राण की | जय श्री हनुमान | तिलक प्रस्तुति 🙏 भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन दो भगवान!

Watch the video song of ''Darshan Do Bhagwaan'' here -    • दर्शन दो भगवान | Darshan Do Bhagwaan ...  

Watch the Story Of "Vaishnon ne kiya shatru hanta ka vadh" Now!

दुर्जय के पास उसका मित्र शत्रु हंता मिलने के लिए आता है। दुर्जय अपनी ऊपर आयी मुसीबत वैष्णों के बारे में उसे बताता है। शत्रु हंता और दुर्जय दोनों एक दूसरे से मिलकर राजा रत्नाकर को हराने की नीति बनाते हैं। राजा रत्नाकर को शत्रु हंता अपने दूत के हाथों अपना पत्र भेजता है। संदेश में राजा रत्नाकर को शत्रु हंता अपने सामने झुकने और हार मान कर उसकी शरण में आने के लिए कहते हैं। राज रत्नाकर और उसके सभी महामंत्री शत्रु हंता के दूत को वापस भेज देते हैं। रानी विजया राजा से इस बारे में बात करती है और राजा रत्नाकर को कहती है की यदि हम युद्ध करेंगे तो हमारी वैष्णों का क्या होगा। रानी विजया और रत्नाकर अपनी पुत्री वैष्णों के पास जाते है और उसे अपने कक्ष में ना पाकर उसे खोजने के लिए निकल पड़ते हैं। वैष्णों को अकेले वाटिका में देख कर राजा रत्नाकर उसके पास आते हैं तो लक्ष्मी माता राजा रत्नाकर और विजया को उनके पिछले जन्म के बारे में बताती हैं। लक्ष्मी माता राजा को ये भी कहते हैं की आप मेरे जनम के कारण में अपनी ममता की बाधा ना बनाए मुझे अपने कार्य को पूर्ण करने दे और वैष्णों को कुछ नहीं हो सकता क्योंकि वैष्णों मेरा ही रूप है।

राजा रत्नाकर सारी बात समझ जाता है। शत्रु हंता अपने दूत को वापस आने के बाद राजा रत्नाकर पर आक्रमण करने के लिए निकल पड़ता है। राजा रत्नाकर अपनी सेना के साथ शत्रु हंता से युद्ध करने के लिए निकल पड़ते हैं। शत्रु हंता अपनी सेना के साथ रजा रत्नाकर की सेना के सामने आ जाता है और दोनों की सेनाओं में युद्ध शुरू हो जाता है। राजा रत्नाकर पर शत्रु हंता अपनी शक्ति से वार करता है जिस से राजा रत्नाकर मूर्छित हो जाते हैं। तभी वहाँ वैष्णों आ जाती है और अपने पिता को मूर्छा से मुक्त कर देती है और शत्रुहंता पर अपने चक्र से वार करके उसका वध कर देती हैं। शत्रु हंता का सिर कट कर राजा दुर्जय के पास गिरता है जिसे देख राजा दुर्जय भयभीत हो जाता है। राज रत्नाकर अपनी जित के बाद माता लक्ष्मी को धन्यवाद करते हैं और वैष्णों को भी अपनी रक्षा के लिए धन्यवाद देते हैं।

Subscribe to Tilak for more devotional contents - https://bit.ly/SubscribeTilak

Watch all episodes of Ramanand Sagar's Jai Mahalaxmi here - http://bit.ly/JaiMahalaxmi

Watch all episodes of Ramanand Sagar's Jai Ganga Maiya here - http://bit.ly/JaiGangaMaiyaHindi

Jai Maha Lakshmi presented Tirupati, Balaji and Padmavati for the first time on the small screen. It created a mass frenzy all over India, particularly in southern region where Tirupati Balaji is the most worshipped and revered deity. “JAI MAHA LAKSHMI“ began the chapters of Tirupati Balaji from its genesis. Bhrigu Rishi is assigned the task of finding who is the supreme, having all the three virtues (Trigun) among the Trinity (Brahma, Vishnu and Mahesh). After a lot of search and disappointments, Bhrigu Rishi is convinced that Vishnu is the Supreme and is touched by the Lord’s concern even after insulting him by a purposely designed kick in the Lord’s chest. Lakshmi asks the Lord to punish the Sage. “I cannot harm one who is my guest.” Said the Lord. Considering this an affront to Her dignity, Lakshmi disappears from Ksheer Sagar and descends on today’s Kolhapur as Karveer Maa Lakshmi.
Later, Lakshmi is pleaded and pleased and She reappears as Padmavati and joins Her husband, who are worshipped and revered as Tirupati Balaji over the years to present.

In association with Divo - our YouTube Partner

#JaiMahalaxmi #JaiMahalaxmionYouTube

show more

Share/Embed