Shut Your Mouth ! | चुप रहना भी सही है ! | Harshvardhan Jain | 7690030010
Harshvardhan Jain Harshvardhan Jain
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 Published On Apr 26, 2024

#ShutYourMouth #चुप_रहना_भी_सही_है #harshvardhanjain
If you have power then demonstrate, if you have capability then demonstrate, if you have intelligence then demonstrate and if you have leadership skills then demonstrate. Therefore, to move ahead in this world, you have to demonstrate. Only then can you see success.

चुप रहने की कला जिन व्यक्तियों में पाई जाती है, उनकी सफलता चुप रहने के बजाय शोर मचाने का विकल्प चुनती है। जिन्हें चुप रहना नहीं आता है, उनकी सफलता चुप ही रहती है। इसलिए यह सीखना बहुत जरूरी है कि कब और कहां चुप रहना है। जो लोग हर समय बोलते रहते हैं उनकी बातों पर लोग कम ध्यान देते हैं और जो लोग कम बोलते हैं लोग उनकी बातों पर अधिक ध्यान देते हैं। एक और प्रमाणित सत्य है कि कम बोलने वाले लोग ज्यादा बुद्धिमान होते हैं क्योंकि वे शांत रहकर सुनने और सोचने की कला विकसित कर लेते हैं। यही कला उन्हें विचारों का मंथन करने का अवसर देती है। इसीलिए उनके विचार दुनिया को सृजनात्मक संदेश देते हैं।

जंगल में जब अन्य जीव शोर मचाते हैं, तब कोई ध्यान भी नहीं देता है; लेकिन जब शेर दहाड़ता है, तब सभी जानवरों के कान खड़े हो जाते हैं और वे ध्यान से सुनते हैं। आपका चरित्र ही आपका प्रवक्ता बनकर आपका महिमा मंडन करता है। इसलिए अपने चरित्र की सकारात्मक आधारशिला रखने का प्रयास करें। यही आधारशिला आपके भविष्य की नींव बनती है। आपका कर्म आपके भविष्य के लिए तलवार भी बन सकता है और भगवान भी। चुनाव आपका है। जंगल में कभी चुनाव नहीं होते हैं। फैसला सिर्फ ताकतवर ही करता है। वास्तविक जीवन में भी यही सत्य है। यदि आप अपने सामर्थ्य का प्रदर्शन नहीं करेंगे, तो फिर लोगों को आपके असीमित संभावनाओं के दर्शन कैसे होंगे। यदि आपके पास शक्ति है तो प्रदर्शन करें, सामर्थ्य है तो प्रदर्शन करें, बुद्धि है तो प्रदर्शन करें और नेतृत्व क्षमता है तो प्रदर्शन करें। इसलिए इस दुनिया में आगे बढ़ने के लिए प्रदर्शन करने पड़ते हैं। तभी सफलता के दर्शन होते हैं।

चुप रहने वाले लोग ही स्वयं के व्यक्तित्व को पहचान पाते हैं, स्वयं के सामर्थ्य का सही आंकलन कर पाते हैं और स्वयं की सीमाओं का नवनिर्माण कर पाते हैं। यदि विश्व विजेता बनना चाहते हो तो सबसे पहले स्वयं को जीतना प्रारंभ करो। यदि स्वयं को जीत लिया, स्वयं को जान लिया और स्वयं को पहचान लिया, तो दुनिया आपकी सीमाओं से दूर नहीं है और दुनिया का आपकी मुट्ठी में आना निश्चित और पूर्वनिर्धारित है। इसलिए सम्मान के साथ अपने सपनों का स्वागत करें और नवनिर्माण करें। जिससे दूसरे असंख्य लोगों को सपने बनाने के लिए प्रेरणा मिल सके। इसके लिए सीमाएं तय करो, साम्राज्य तो आपका हो ही जाएगा। अधिकतर लोग अपने सामर्थ्य की संभावनाओं पर संदेह करते रहते हैं, लेकिन जिन्हें अपने सामर्थ्य की अपार संभावनाओं पर विश्वास होता है, सफलता उनकी गोद में खेलती है।

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