Know Your Role | भीष्म भी अपना रोल भूल गया | Harshvardhan Jain | 7690030010
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 Published On Apr 19, 2024

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Try to give a grand welcome to your role because your role decides the shape of the future. When you portray your role, then your role itself promotes you and makes your identity known to the whole world.

जो व्यक्ति अपनी भूमिका का भगवान बन जाता है, भगवान भी उसके निश्चय को निर्णय में बदल देता है। इसलिए अपनी भूमिका के विधाता बनना ही आपका कर्तव्य है। यही कर्तव्यनिष्ठा आपको सफलता के अनुकूल बनाती है क्योंकि सफलता आपकी योग्यताओं की परीक्षा लेने के पश्चात ही उत्तरदायित्व आपके कंधों पर सौपती हैं। इसलिए अपने उत्तरदायित्व को निभाने का हर संभव प्रयास करें। अपनी भूमिका का भव्य स्वागत करने का प्रयास करें क्योंकि यही भूमिका भविष्य का आकार तय करती हैं। जब आप अपनी भूमिका का चित्रण करते हैं, तब आपकी भूमिका ही आपका प्रचार करके आपकी पहचान का डंका पूरी दुनिया में बजा देती है।

जिस प्रकार शेर ने अपनी भूमिका तय की है, जिस प्रकार हाथी ने अपनी भूमिका तय की है; उसी प्रकार आप भी अपनी भूमिका तय कर सकते हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपनी तुलना शेर और हाथी से करता है, लेकिन कोई भी व्यक्ति अपनी तुलना हिरण, भेड़ और बकरी से नहीं करना चाहता है। यह भूमिका का असर है, नेतृत्व क्षमता का असर है और सामर्थ्य के दर्पण का असर है। आप अपनी जो तस्वीर दुनिया को दिखाते हैं, वही तस्वीर आपका ब्रांड बन जाती है। इसलिए लोगों से बात करते समय अपने भविष्य की छवि को ध्यान में रखकर बात करना सीखें, जिससे आपके सपनों के अनुकूल सफलता मिल सके। जब आप अपनी भूमिका का चुनाव कर लेते हैं तब लोग आपके दरबारी बनने के लिए उत्सुक हो जाते हैं क्योंकि उन्हें अपने भविष्य की सफलता का साम्राज्य आपकी छत्रछाया में दिखाई देने लगता है। जो दिखता है, वही बिकता है। इसलिए दुनिया को वो दिखाने का प्रयास करें, जो वे देखना चाहते हैं। दुनिया के सभी लोग सफलता की उड़ान देखना चाहते हैं और सपनों का साम्राज्य देखना चाहते हैं।

हम सभी का जन्म अपनी अपनी भूमिकाओं को निभाने के लिए हुआ है। यदि प्रत्येक व्यक्ति अपनी भूमिका सार्थक रूप से निभाने का निर्णय कर ले, तो एक दिन दुनिया में नेतृत्व करने वाले लोगों की कमी नहीं होगी। समस्या तब बड़ी हो जाती है, जब समस्या का समाधान निकालने के बजाय समस्या की भूमिका को बड़ा बनाकर पेश किया जाता है।भूमिका वह मूर्ति है, जिसको मूर्तिकार अपनी कल्पनाओं से ऐसा आकार देता है, ऐसा प्रारूप देता है कि लोग देखकर मोहित हो जाते हैं, आकर्षित हो जाते हैं और अपनी आस्था को रोक नहीं पाते हैं। इसलिए अपनी भूमिकाओं को मूर्ति रूप देने के लिए सर्वप्रथम अपनी कल्पनाओं को मूर्ति रूप देने का प्रयास करें। यही कल्पनाओं की नदी एक दिन समुद्र का रूप ले लेगी और आपकी कल्पनाओं के अनुसार सफलता की मूर्ति रूपी मोती का निर्माण होना निश्चित हो जाएगा।

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